सुन्दर लाल बहुगुणा

सुन्दर लाल बहुगुणा (Sundar Lal Bahuguna)

(माताः स्व. पूर्णा देवी, पिताः स्व. अम्बादत्त बहुगुणा)

जन्मतिथि : 9 जनवरी 1927

जन्म स्थान : मरोड़ा

पैतृक गाँव : मरोड़ा जिला : टिहरी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : एम.ए. (अपूर्ण)

प्राथमिक शिक्षा- प्राइमरी पाठशाला, गोरण एवं श्री कीर्ति पाठशाला (उत्तरकाशी)

हाईस्कूल, इंटर- प्रताप इण्टर कालेज, टिहरी

बी.ए.- सनातन धर्म कालेज, लाहौर

एम.ए.- (समाज कार्य) काशी विद्यापीठ, मीरा बहन के प्रत्यक्ष क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने के आह्नान पर पहले सत्र के बाद छोड़ दिया।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः तेरह वर्ष की अवस्था में श्रीदेव सुमन से मिलने पर स्वतंत्रता आन्दोलन का सिपाही बन गया। सत्रह वर्ष की अवस्था में श्रीदेव सुमन सम्बन्धी समाचारों के प्रकाशन के लिए गिरफ्तार। पांच महीने बाद मरणासन्न अवस्था में नरेन्द्रनगर पुलिस हवालात से रिहा। 1956 में सरला बहन की शिष्या विमला नौटियाल के साथ विवाह और दलगत राजनीति को छोड़कर सिल्यारा गांव में नवजीवन आश्रम की स्थापना।

प्रमुख उपलब्धियाँ : 1. अस्पृश्यता निवारण के लिए टिहरी में 1950 में ठक्कर बाबा छात्रावास की स्थापना तथा 1957 में गंगोत्री, यमुनोत्री व बूढ़ाकेदार के मंदिरों में हरिजन प्रवेश 2. ‘चिपको आन्दोलन’ का संदेशवाहक बना तथा पारिस्थितिकी आन्दोलन का स्वरूप दिया। जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला। उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों में 1000 मी से ऊपर के क्षेत्रों में हरे पेड़ों की व्यापारिक कटाई पर पाबन्दी लगी, जो हि.प्र. और उत्तराखण्ड में अब भी कायम है। इससे पूर्व 1965 से 1971 तक शराबबन्दी आन्दोलन में सक्रिय 3. 1981-83, पारिस्थितिकी चेतना के लिए कश्मीर में कोहिमा तक की 4870 किमी. की पैदल यात्रा की। 4. सन् 1981 में भारत सरकार द्वारा प्रदत्त पद्मश्री पुरस्कार को यह कह कर स्वीकार नहीं किया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ। 1984 में दशरथ मल्ल सिंघवी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार। 1985 में वृक्षमित्र सम्मान। 1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार। 1987 में चिपको आन्दोलन के लिए राइट लाइवलीहुड पुरस्कार। 1987 में शेर-ए-कश्मीर पुरस्कार। 1987 में सरस्वती सम्मान। 1998 में पहल सम्मान। 1999 में दिवाली बहिन मेहता पुरस्कार। 1999 में गाँधी सेवा सम्मान। 2000 में सांसदों के फोरम द्वारा सत्यपाल मित्तल एवार्ड। 2001 में पर्यावरण रक्षा के लिए यशवंत राव चह्नाण स्मृति सम्मान।

युवाओं के नाम संदेशः उत्तरांचल की दो सम्पदाएँ-पानी और जवानी बाहर बह कर जा रही हैं। इस पानी को पहाड़ों की चोटियों तक पहुंचावें और इसका उपयोग सब पहाड़ी ढालों पर भूमि की उपलब्धि के अनुसार प्रति परिवार 2000 पेड़-300 फलदार, तैलीय बीज, मौमसी फल, चारे व रेशा प्रजाति के पेड़ लगावें इससे युवकों को घर पर ही रोजगार मिलेगा। संक्षेप में मेरा मंत्र है- ‘धार में ऐंच पाणी, ढाल पर डाला, बिजली बणावा खाला खाला।’ पहाड़ों में किसी भी सूरत में टिहरी जैसे विनाशकारी बांध न बनने दें, क्योंकि ये धरती और प्रकृति दोनों के महाविनाश के कारण बनेंगे। नदियों के अविरल प्रवाह को रोक कर उन्हें प्रदूषित करेंगे।

विशेषज्ञता : जनआन्दोलन, पर्यावरण, पत्रकारिता।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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One Thought to “सुन्दर लाल बहुगुणा”

  1. I worked at PHC Jakhand, Tehri Gharhwal 2 years as a medical officer.Roamed a lot.Rugged terrain , singing Streams, waterfalls, n patients all lured me.But I have to resign due to suddenly increased family responsibilities .People still remember me n are in contact.

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